हर महीने की पहली तारीख लोगों की जिंदगी में कुछ नए बदलाव लेकर आती है। ये बदलाव सीधे जेब और घर के बजट पर असर डालते हैं। आज यानी 1 सितंबर से भी कई अहम नियम लागू हो गए हैं, जिनमें एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन, एटीएम निकासी पर नई पाबंदियां, फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों में गिरावट की आशंका और चांदी की हॉलमार्किंग जैसे नियम शामिल हैं। इन सभी का असर आम उपभोक्ताओं पर सीधा पड़ेगा।
एलपीजी सिलेंडर की नई कीमतें
तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की नई कीमतें घोषित करती हैं। यह दरें वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी मुद्रा दरों पर निर्भर होती हैं। सितंबर की शुरुआत में भी कंपनियों ने दरों की समीक्षा की है।
एलपीजी की कीमतें भारतीय परिवारों के बजट का अहम हिस्सा हैं। अगर सिलेंडर के दाम बढ़ते हैं तो रसोई का खर्च सीधा बढ़ जाता है। वहीं, कीमतें घटने पर लोगों को राहत मिलती है। इस बार कीमतों में हल्की बढ़ोतरी की संभावना जताई गई थी, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव जारी है।
एटीएम निकासी पर नए नियम
सितंबर से कई बैंकों ने एटीएम निकासी से जुड़े नियम बदल दिए हैं। अब ग्राहकों को निर्धारित सीमा से अधिक कैश निकालने पर ज्यादा शुल्क देना होगा।
मसलन, यदि किसी ग्राहक की मासिक मुफ्त निकासी सीमा 5 ट्रांजैक्शन है और वह उससे अधिक बार एटीएम का उपयोग करता है, तो उसे हर निकासी पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और नकदी पर निर्भरता कम करने के लिए बैंक यह कदम उठा रहे हैं। हालांकि, ग्रामीण और छोटे कस्बों के ग्राहकों को इससे परेशानी हो सकती है, जहां डिजिटल भुगतान की सुविधाएं सीमित हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बदलाव
भारतीय परिवारों की बचत का बड़ा हिस्सा फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी में जमा होता है। फिलहाल अधिकांश बैंक 6.5 से 7.5 प्रतिशत तक ब्याज दर दे रहे हैं।
लेकिन सितंबर से बैंकों ने संकेत दिए हैं कि ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी। यदि दरों में कटौती होती है, तो वरिष्ठ नागरिकों और छोटे निवेशकों को खासा नुकसान होगा।
रिजर्व बैंक द्वारा हाल में रेपो रेट में किए गए बदलावों का असर भी एफडी दरों पर देखने को मिल सकता है। बैंकिंग सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ब्याज दरें कम होती हैं, तो निवेशकों को विकल्प के तौर पर म्यूचुअल फंड या बॉन्ड मार्केट की ओर रुख करना पड़ सकता है।
चांदी की हॉलमार्किंग अनिवार्य
सोने की तरह अब चांदी पर भी हॉलमार्किंग नियम लागू कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इस कदम से बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ता को शुद्धता की गारंटी मिलेगी।
हॉलमार्किंग का मतलब है कि चांदी के गहनों या वस्तुओं पर उनकी शुद्धता का आधिकारिक निशान होगा। इससे धोखाधड़ी की संभावना घटेगी और उपभोक्ता सही कीमत पर असली धातु खरीद पाएंगे।
हालांकि, ज्वेलर्स का कहना है कि इस कदम से कीमतों में थोड़ा इजाफा हो सकता है, क्योंकि हॉलमार्किंग प्रक्रिया में अतिरिक्त लागत जुड़ जाएगी।
एसबीआई कार्डधारकों के लिए नए नियम
देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने भी सितंबर से अपने कार्डधारकों के लिए नई शर्तें लागू की हैं।
• अगर ऑटो-डेबिट फेल हो जाता है, तो ग्राहक को अब दो फीसदी पेनल्टी देनी होगी।
• अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
• ईंधन खरीद और ऑनलाइन शॉपिंग पर भी ग्राहकों को ज्यादा शुल्क देना पड़ सकता है।
ये बदलाव उन लाखों ग्राहकों पर असर डालेंगे जो रोजाना SBI कार्ड का इस्तेमाल करते हैं।
असर सीधा आम लोगों पर
विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी बदलावों का असर सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। एलपीजी की कीमत बढ़ी तो रसोई का बजट बिगड़ेगा। एटीएम शुल्क में वृद्धि से नकद निकालना महंगा होगा। एफडी की ब्याज दरें घटीं तो बचत पर कम रिटर्न मिलेगा। वहीं, चांदी की हॉलमार्किंग से भले ही कीमतें थोड़ी बढ़ें, लेकिन लंबी अवधि में उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
सितंबर की शुरुआत आम लोगों के लिए कई नए आर्थिक नियमों के साथ हुई है। सरकार और बैंकिंग सेक्टर का कहना है कि इन कदमों से पारदर्शिता बढ़ेगी और बाजार में स्थिरता आएगी। लेकिन उपभोक्ताओं के लिए यह महीना चुनौतियों से भरा रहेगा। उन्हें खर्च की नई रणनीति बनानी होगी ताकि इन बदलावों का असर उनके घर के बजट पर कम से कम पड़े।