डोंगरगढ़ ,3अगसत 2025
डोंगरगढ़ स्थित एक्सिस बैंक शाखा में लंबे समय से चल रहे करोड़ों की बैंकिंग धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए डोंगरगढ़ पुलिस ने कर्मचारी उमेश गोरले को उसकी पत्नी उषा गोरले के साथ गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ अब तक 43 खाताधारकों ने शिकायत दर्ज कराई है और प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि उसने लगभग 2.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की है।
बैंक शाखा प्रबंधक रिकू कुमार द्वारा 26 जुलाई को की गई शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर में बताया गया था कि आरोपी उमेश गोरले ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2025 के बीच ग्राहकों के नाम पर फर्जी ऋण, ओवरड्राफ्ट खाते और नेट बैंकिंग का दुरुपयोग कर करोड़ों की रकम निकाला । आरोपी ने बैंकिंग पद पर रहते हुए गंभीर वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया, जो अब व्यापक वित्तीय अपराध में तब्दील हो चुका है। विवेचना के दौरान पुलिस ने पाया कि उमेश गोरले ग्राहकों के दस्तावेज, चेकबुक, ओटीपी और नेट बैंकिंग एक्सेस का दुरुपयोग करता था। रकम को वह पहले मणप्पुरम गोल्ड लोन खातों में ट्रांसफर करता, जिनमें उसका खाता लिंक था।
इसके बाद वह धनराशि को अपनी पत्नी उषा गोरले और मां तारादेवी गोरले के खातों में ट्रांसफर करता था। पुलिस के जांच में यह भी सामने आया कि तारादेवी के बैंक खाते उमेश के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी से लिंक था । जिससे उनकी संलिप्तता की जांच भी शुरू कर दी गई है। सूत्रों की मानें तो आरोपी लम्बे समय से बैंक में धोखाधड़ी कर रहा था जिसकी जानकारी कैसे बैंक को नहीं लगी होगी इसमें बैंक की भूमिका भी संदिग्ध है । बैंक ग्राहकों को सुविधा के नाम पर समय समय पर ग्राहकों के खाते से मेंटेनेंस के नाम पर रकम काटती हैं। ग्राहक का पैसा सुरक्षित ना होना अब ऐसी स्थिति में ग्राहकों का विश्वास बैंक से ख़त्म होना लाज़मी है।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक हुंडई क्रेटा कार, लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंक दस्तावेज, पासबुक, एटीएम कार्ड और स्टांप पेपर जब्त किए हैं। आरोपी गोरले रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से फरार चल रहा था, जिसे शनिवार देर रात पुलिस ने तकनीकी निगरानी के आधार पर डोंगरगढ़ से ही गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 316(5) और 3(5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर 3 अगस्त को न्यायालय में पेश किया गया।
जांच अधिकारियों के अनुसार यह मामला सिर्फ एक कर्मचारी द्वारा की गई वित्तीय धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि यह बैंकिंग सुरक्षा तंत्र में हुई एक बड़ी चूक को भी उजागर करता है। पुलिस अब आरोपी की संपत्तियों, ट्रांजैक्शन ट्रेल और परिवारजनों की भूमिका की गहराई से जांच कर रही है। साथ ही बैंकिंग नियामकों को भी इस प्रकार की आंतरिक धोखाधड़ी से निपटने के लिए जवाबदेही तय करने की आवश्यकता पर विचार करना होगा।