छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एक और बड़ा एक्शन लिया है. झारखंड की जेल में बंद आरोपियों अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को ट्रांजिट रिमांड पर छत्तीसगढ़ लाया जा रहा है. दोनों आरोपी ओम साईं बेवरेज कंपनी के डायरेक्टर बताए जा रहे हैं. जांच एजेंसी की टीम उन्हें झारखंड से लेकर रवाना हो चुकी है और शुक्रवार को इन्हें विशेष न्यायालय में पेश किया जाएगा।
ईओडब्ल्यू ने पेश किया छठवां चालान
इससे पहले, 26 अगस्त को रायपुर स्थित विशेष अदालत में EOW ने छठवां अभियोग पत्र दाखिल किया था. इसमें आरोप लगाया गया कि ओम साईं बेवरेज से जुड़े विजय कुमार भाटिया को 14 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा. बताया गया कि भाटिया ने अलग-अलग खातों और डमी डायरेक्टरों के जरिए रकम निकाली. जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि नेक्सजेन पावर इंजिटेक से जुड़े संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को करीब 11 करोड़ रुपये मिले.
FL-10 लाइसेंस के जरिए हुआ घोटाला
जांच के अनुसार, घोटाले का आधार FL-10 A/B लाइसेंस व्यवस्था रहा. FL-10 (फॉरेन लिकर-10) ऐसा लाइसेंस है, जिसे राज्य सरकार ने विदेशी शराब की खरीदी और सप्लाई के लिए जारी किया था. इन कंपनियों को शराब की खरीदी, भंडारण और परिवहन का अधिकार मिला था, लेकिन हकीकत में पूरा काम बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंप दिया गया.
FL-10 A लाइसेंसधारकों को देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से शराब खरीदकर बेचने का अधिकार था, जबकि FL-10 B केवल राज्य के निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब लेकर सप्लाई कर सकते थे.
सिंडिकेट बनाकर खेला गया खेल
EOW ने कोर्ट में बताया कि तत्कालीन अफसर अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, कारोबारी अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह ने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया. इस सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय किया, डिस्टिलरी से अतिरिक्त शराब बनवाई और विदेशी ब्रांड की सप्लाई पर भी अवैध वसूली की व्यवस्था की.
यह नेटवर्क रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, महासमुंद, धमतरी, कोरबा, रायगढ़ सहित कई जिलों तक फैला था.
सरकार को हुआ 248 करोड़ का नुकसान
जांच अधिकारियों के मुताबिक, वर्ष 2020-21 में लागू की गई नई आबकारी नीति के बाद विदेशी शराब सप्लाई का ठेका तीन निजी कंपनियों—ओम साईं बेवरेज प्रा.लि., नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा.लि. और दिशिता वेंचर्स प्रा.लि.—को दिया गया.
इन लाइसेंसों से सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ.
2,174 करोड़ के बंटवारे का खुलासा
EOW की जांच में सामने आया कि शराब घोटाले से जुड़ी राशि का 2,174 करोड़ रुपये का बंटवारा किया गया. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा नेताओं और मंत्रियों को गया.
नेताओं-मंत्रियों को : 1,392 करोड़ 45 लाख
तीन शराब डिस्टिलर्स को : 358 करोड़ 65 लाख
अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा को : 181 करोड़ 52 लाख
आबकारी विभाग को : 90 करोड़ 76 लाख
जिला आबकारी अधिकारी व दुकान कर्मचारियों को : 90 करोड़ 76 लाख
विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह को : 60 करोड़ 50 लाख
आरोपियों की भूमिका
अनिल टुटेजा – तत्कालीन संयुक्त सचिव, सिंडिकेट संरक्षक की भूमिका में.
अनवर ढेबर – होटल कारोबारी, सिंडिकेट का गठन और पैसों के बंटवारे की जिम्मेदारी.
एपी त्रिपाठी – CSMCL के एमडी, होलोग्राम सप्लाई, कैश कलेक्शन व ट्रांसपोर्टेशन अपने लोगों को दिया.
विकास अग्रवाल – नकली होलोग्राम वाली शराब की सप्लाई और कैश कलेक्शन.
अरविंद सिंह – पत्नी के नाम बोतल प्लांट, नकली बोतल व होलोग्राम की सप्लाई.
त्रिलोक सिंह ढिल्लन – शराब ठेकेदार व होटल कारोबारी, अपनी कंपनियों से धन इकट्ठा किया और संपत्ति में लगाया।