छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बहुचर्चित शराब घोटाले (Liquor Scam) में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Former CM Bhupesh Baghel) के बेटे चैतन्य बघेल (Chaitanya Baghel) को बड़ी राहत नहीं मिल सकी।
राजधानी रायपुर (Raipur) में ईडी (ED) की विशेष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी के बाद उन्हें 15 सितंबर तक न्यायिक रिमांड (Judicial Remand) पर भेज दिया है। माना जा रहा है कि इसी तारीख को ईडी इस मामले में चालान पेश कर सकती है।
ईडी (ED) ने चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया था।
शराब घोटाले की जांच ईडी ने एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB/EOW) रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। शुरुआती जांच में सामने आया कि इस घोटाले से प्रदेश को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (POC) सिंडिकेट के पास पहुंची।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये मिले थे। उन्होंने इस रकम को अपनी रियल एस्टेट कंपनियों (Real Estate Firms) के जरिए मिलाने का प्रयास किया और अपने प्रोजेक्ट्स में ठेकेदारों को नकद भुगतान भी किया।
जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों (Trilok Singh Dhillon) के साथ मिलकर “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फर्जी खरीदारों के नाम पर 5 करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किए।
1000 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति संचालन का आरोप
ईडी का कहना है कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से निकली 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध संपत्ति (Illegal Assets) को भी संभाला। वे कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को धन पहुंचाने के लिए अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) और अन्य के साथ समन्वय करते थे।
पहले से गिरफ्त में कई बड़े नाम
पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी हो चुके हैं गिरफ्तार
इस मामले में पहले ही पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा (Anil Tuteja), अरविंद सिंह (Arvind Singh), त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी (Arun Pati Tripathi) और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) को गिरफ्तार किया जा चुका है।