अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें लगता है कि हमने भारत को गंवा दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका ने रूस और चीन के हाथों भारत को गंवा दिया है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ के मामने पर अपने देश की सबसे बड़ी अदालत में सफाई पेश की थी। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को 251 पेज में तैयार किए गए जवाब में बताया कि भारत पर इतना हाई टैरिफ क्यों लगाया। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसने यूक्रेन-रूस युद्ध और उससे उत्पन्न राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है। ट्रंप के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस समय उनके पास इस विषय पर कहने को कुछ भी नहीं है।
अमेरिका के पूर्व NSA ने दिया बड़ा बयान
ट्रंप के बयान से पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने भी बड़ी बात कही थी। बोल्टन ने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध थे, लेकिन, अब वो खत्म हो गए हैं। बोल्टन ने हाल ही में ब्रिटिश मीडिया पोर्टल ‘एलबीसी’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था “मुझे लगता है कि ट्रंप अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नेताओं के साथ अपने निजी संबंधों के चश्मे से देखते हैं। इसलिए अगर उनके (रूस के राष्ट्रपति) व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे संबंध हैं, तो अमेरिका का रूस के साथ भी अच्छा संबंध होता। जाहिर है, ऐसा नहीं है।” बोल्टन ट्रंप के पहले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं। लेकिन अब वह ट्रंप के मुखर आलोचक हैं।
अमेरिका-भारत के संबंधों को पीछे धकेला गया’
ब्रिटिश मीडिया पोर्टल ‘एलबीसी’ के साथ अपने साक्षात्कार के संबंध में बोल्टन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि व्हाइट हाउस ने “अमेरिका-भारत संबंधों को दशकों पीछे धकेल दिया है, जिससे मोदी रूस और चीन के करीब आ गए हैं। चीन ने खुद को अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के रूप में पेश किया है।”
पुतिन ने दिया था बड़ा बयान
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने एक बयान से दुनिया भर में खलबली मचा दी थी। पुतिन ने अमेरिका का नाम लिए बगैर कहा था कि अब “एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था” को समाप्त हो जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा था कि एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसमें किसी भी देश का वर्चस्व ना हो और सभी राष्ट्र समान अधिकार के साथ सहभागिता करें। पुतिन के इस बयान को अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप से जोड़कर देखा जा रहा है।