सूत्री मांगों को लेकर प्रदेशभर के 16 हजार एनएचएम कर्मचारी पिछले 16 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस बीच सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्तगी का अल्टीमेटम जारी कर दिया है। सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर आज शाम तक काम पर नहीं लौटने पर कर्मचारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। सरकार के इस अल्टीमेट पर एनएचएम कर्मचारी संघ भड़क गया है। वहीं, दूसरी ओर एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है।
दरअसल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहे टीएस सिंहदेव ने कल बड़ा बयान देते हुए कहा था कि उनकी सरकार ने एनएचएम कर्मियों से किया वादा पूरा नहीं किया था, यही वजह है कि, उन्हें चुनाव में हार मिली और सरकार भी चली गई। सिंहदेव ने कहा कि, जो सरकारें जनता काम नहीं करती, वो हारती है। हम लोग भी हारे, क्योंकि हम मांग पूरी नहीं कर पाए।
इस मामले में आज स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि अच्छा है, सिंहदेव को हार का कारण याद आया। कांग्रेस की हार का कारण वादों को पूरा ना करना है। कांग्रेस ने सभी वर्गों को छलने का काम किया है। जबकि हमारी मोदी की गारंटी पत्थर की लकीर है, हमनें NHM के वेतन वृद्धि पर काम किया है। NHM की अन्य मांगों पर केंद्र को पत्र भेजा है। उन्होंने आगे कहा कि मनें NHM के नियमितीकरण का वादा नहीं किया, घोषणा पत्र में NHM के नियमितीकरण की प्रक्रिया पर बात की है।
दूसरी ओर सरकार के बर्खास्तगी के फैसले पर भड़के कर्मचारी संघ ने कहा है कि ये आदेश दमनकारी और डराने धमकाने वाला है। छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने मोदी की गारंटी के तौर पर हमसे वादा किया था। समाधान का रास्ता संवाद से निकलेगा, ना कि डराने धमकाने से।
एनएचएम “कर्मचारी” क्यों हड़ताल पर हैं?
उत्तर: एनएचएम कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों, विशेष रूप से नियमितीकरण की मांग को लेकर पिछले 16 दिनों से हड़ताल पर हैं
सरकार ने “हड़ताल” को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाया है?
उत्तर: सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों को ‘नो वर्क, नो पेमेंट’ नोटिस के बाद अब बर्खास्तगी का अल्टीमेटम जारी कर दिया है
क्या “सरकार” ने सभी मांगें ठुकरा दी हैं?
नहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 22% वेतन वृद्धि, ट्रांसफर नीति और 30 दिनों के चिकित्सकीय अवकाश जैसी कुछ मांगों पर सहमति दी जा चुकी है।