बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ा निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वोटर लिस्ट में सुधार के लिए 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड को भी शामिल किया जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया मतदाता अनुकूल होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि एसआईआर के लिए आधार कार्ड या किसी अन्य स्वीकार्य दस्तावेज के साथ हटाए गए मतदाताओं के दावों को ऑनलाइन प्रस्तुत करने की अनुमति देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि मतदाता दावों को ऑफलाइन के साथ साथ ऑनलाइन भी नाम फिर से दर्ज करा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने इसके साथ चुनाव आयोग को अपने बूथ स्तरीय एजेंट को खास निर्देश जारी करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश दिया कि वह राजनीतिक दलों के बूथ स्तरीय एजेंटों की ओर से प्रस्तुत दावों के बदले रसीद प्रदान करें। ताकि वे मतदाताओं को आवश्यक फॉर्म जमा करने में सहायता कर सकें।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कही ये बात
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इसका समर्थन किया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बिहार में जारी SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि हम शुरूआत से, जब से SIR की प्रक्रिया शुरू हुई है यही मांग कर रहे हैं। आधार कार्ड पहचान का एक मूल दस्तावेज है और अगर उसी को आप स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहां जाएंगे? हैरानी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ी, इसी से पता चलता है कि चुनाव आयोग की नीयत में खोट है।
सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट रिवीजन पर क्या कहा है?
उत्तर: कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड समेत 11 दस्तावेजों को मान्य किया जाए और पूरी प्रक्रिया मतदाता अनुकूल होनी चाहिए।
हटाए गए मतदाता अपना नाम फिर से जोड़ सकते हैं?
उत्तर: हां, मतदाता अपने नाम को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फिर से दर्ज करा सकते हैं।
बूथ एजेंटों की भूमिका पर कोर्ट ने क्या निर्देश दिया?
कोर्ट ने कहा कि बूथ एजेंट द्वारा जमा किए गए दावों पर चुनाव आयोग को रसीद देनी होगी।